Maa Pratyangira Devi

 Maa Pratyangira Devi




 Maa Prathyangira (Sanskrit: प्रत्यङ्गिरा; Prathyaṅgirā) — also called Narasimhi or Narashimhika — is a Hindu Goddess associated with Shakti. She is a form of Adi Parashakti and is the consort of Sharabha. She is described as a goddess with a male lion’s face and a female human body . She holds the combined destructive power of Vishnu, Shiva and Devi Parvati . This combination of lion and human forms represents the balance of good and evil.


Maa Pratyangira Devi
To kill Hiranya kasipu and to protect his devotee Prahlada, Lord Vishnu took the awesome form of Narasimha (half lion and half man) and came out of a pillar. He took Hiranyakasipu to the main door of the palace and killed him on its steps. Then he drank the blood of Hiranyakasipu. Because of this he became very violent. Many efforts were done by Devas to appease him, but of no avail.

Lord Shiva took the form of Sharabha, with the lion, eagle and human body. His two wings were Shulini and Pratyangira, who were both forms of Goddess Parvathi.

He tried his best to calm down Lord Narasimha and failed. Shulini also tried her best and failed. Then arose from Sharabha, the awesome and terrible form of Pratyangira. Commonly she is pictured as having a female body and Lions head. Some others say that, she had 1000 heads. She succeeded in appeasing Narasimha. She is also called Atharva Bhadrakali because she is the protector of Atharvana Veda which deals about manthras, thanthras and Yanthras.

 “In some images she is shown as dark complexion, terrible in aspect, having a lion's face with reddened eyes and riding a lion, entirely nude or wearing black garments, she wears garland of human skulls; her hair strands on end, and she holds a trident, a serpent in the form of a noose, a hand-drum and a skull in her four hands. Sri Pratyangira Devi is also associated with Sri Chakra. She is considered to be a powerful repellent of the influences generated by witch-craft. In Sri Chakra worship, she protects the devotees against all odds and guides him/her along the right path.”







Pratyangira devi story

किसी भी वास्तु के इस्तमाल से पहले उसके बारे में जानना बहुत जरुरी होता है| क्यों की जब तक आपको उसके बारे में नही पता होगा आप उसका इस्तमाल कैसे करेगे| तो आइये सबसे पहले जानते है की Pratyangira devi कौन थी और उन्हें इतनी मान्यता क्यों दि जा रही है| प्रत्यंगिरा  एक हिन्दू माता देवी थी| उसका सिर सिंह की तरह है औरबाकी शरीर मानव जैसा है| यह शक्ति से बरपुर है ये विष्णु दुर्गा काली नरसिंह के एकीकृत रूप हैं। इन की शक्ति की बात की जाए तो बलवान शत्रु को परास्त करने वाली देवी का नाम प्रत्यंगिरा है। और इनकी पूजा करने से ऋण, रोग, और शत्रु को निष्प्रभावी करने के सभी उपाय, शत्रु नाश के लिए विफल हो जाते हैं।

देवी प्रत्यंगिरा Pratyangira devi temple

भगवती प्रत्यंगिरा देवी का अत्यंत उग्र रूप है| इनकी कृपा से हर जीवन सुदर जाता है| और विजय प्राप्त भी होती है| पंरतु यह सब करने से पहले आपको देवी पर अटूट श्रद्धा और विश्वास होना चाहिये| और अटूट श्रद्धा होने पर निश्चित हि साधक को इच्छित फल की प्राप्ति होती है| प्रस्तुत प्रयोग,साधक को न्यायालय से जुड़े कार्यों में सफलता दिलाता है| जो लोग प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रह है| वह भीइस साधना को कर अपनी सफलता के अवसर बड़ा सकते है| यदि लाख परिश्रम के पश्चात भी आपको किसी कार्य मे सफलता नही मिल रही है तो यह प्रयोग कर आप सफलता के निकट पहुँच सकते है|

How to worship pratyangira devi at home

आपको प्रति गिरा देवी के मंदिर में जा कर इस प्रकार पूजा करनी होगी| आप कोई भी एक मंगलवार की रात्री को 10 बजे के बाद आरंभ कर सकते है| आपको स्नान कर लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर बैठ होगा| फिर आपको एक कागज़ लेना है औरउसपर हल्दी के घोल से अनार की अथवा पिपल की कलम से एक स्त्री का चित्र बनाये| यह आवश्यक नही है की चित्र बहुत सुन्दर हो| फिर इस चित्र को बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित कर दे| अब चित्र का प्रत्यंगिरा देवी मानकर सामान्य पुजन करे| संभव हो तो लाल पुष्प अर्पित करे.शहद ओर द्राक्ष को मिलाकर भोग रूप मे अर्पित करे.जिसे साधक को अंत मे स्वयं खाना है| इसके बाद साधक अपने कार्य मे विजय प्राप्ति का संकल्प लेकर,निम्न प्रत्यंगिरा गायत्री का 11 माला जाप रूद्राक्ष माला से करे|

प्रत्यंगिरा Pratyangira devi puja at home

माँ देवी की और यन्त्र मंत्र की ११ माला पुर्ण हो जाये तोसाधक घृत में द्राक्ष मिलाकर 111 आहुति प्रदान करे| ईसके पश्चात भोग ग्रहण कर,पुनः प्राथना करे| इस प्रकार यह उपाय पूरा होगा| अगले दिन चित्र पर हल्दि का लेप लगाकर किसी वृक्ष के निचे रख आये| आप जिस क्षेत्र मे विजय प्राप्त करना चाहते है,आपको उसमे सफलता अवश्य मिलेगी,बस आपकी ईच्छा उचित होनी चाहिये| साधक चाहे तो दो या तीन मंगलवार इस प्रयोग को कर सकता है|