Jain Manibhadra Veer Mantra




Manibhadra veer mantra

श्री माणिभद्रजी के विभिन्न मंत्र

१. ऊँ असिआउसा नमः । 
श्री माणिभद्र ! 
दिशतु मम सदा सर्वकार्येषु सिद्धिं ।।
विधि:
इस मंत्र की साधना रविवार, मंगलवार या गुरुवार हो , मतलब सूद पक्ष में पहला रविवार, मंगलवार, या गुरुवार हो तब या सूद पक्ष की पंचम, अष्ट, या चौदश के दिन आरंभ करना.
ऐसे  21 रविवार, मंगलवार, या गुरुवार  या पंचम, अष्ट, या चौदश के दिन आरंभ करके पूरा करने का.
उसी दिन 21 माला का जाप ओर बीच के दिनों में एक एक बार जाप करना.
उस दिन जिन मंदिर में स्नात्रपूजा, आंगी आदि करना.
इस प्रकार जाप ओर तप करने वाला अनेक संकटो में से बच जाता है.
रोग-शोक-दुःख और दरिद्रता मिट जाती है.
इच्छाए पूरी होती जाती है.
श्री माणिभद्र देव नियमा समकितधारी देव है.
इसीलिए जैन धर्म का पालन करने वाले के दुःख मिटाने पुरी तरह से सहायक होते है.

२. ऊँ  ह्रीँ  श्रीँ   क्लीँ  ब्लीं  क्राँ  श्री माणिभद्रविराय, चतुर्भुजाय
हस्तिवाहनाय, मम कामार्थसिद्धिं  कुरू कुरू स्वाहा।।
विधि:
आठम के तीन आयंबिल करके साढेबारा हजार जप करना,
एक एक मंत्र पे एक एक करेंन का फूल चडाना.
ऐसे 12000 जाप करना, सवाशेर घी की सुखड़ी चढ़ाने की,
धूप-दीप अखंड रखना. आहवान, भूमिशुद्ध, विसर्जन ये सब गुरुमुख के पास से जान लेना.
सोच हुआ काम सिध्द जरूर होगा.

३. ऊँ   ह्रीँ  माणिभद्र चेटकाय रूद्राय मम अंतरात्मने आगंतुक सर्वसृष्टिं  दर्शय दर्शय स्वाहा।।
विधि:
रवीवार के दिन कला गजकन (कला कपड़ा), आम का 2 फ़ीट लंबा और 1 फ़ीट चौड़ा टेबल, 1 श्रीफल, लाल करेंन के 225 फूल हररोज लेना.
इस फूल मे से ऊपर के मंत्र से 108 बार फूल जाप के होम कारना.
बाकी बचे फूल पूजा में उपयोग करो. एक मंत्र बोल के एक फूल स्थापित देव को अर्पित करते जाव.
पहले सन्नानीदी से शुध्द हो के, लाल वस्त्र पहनकर, सिर पे लाल कपड़ा बांधो. लंगोट ओर अगरबत्तियां भी लाल रखना.
साथ मे गुगल का धूप और घी का दीप अखंड रखो.
केरोसिन से जलाये हुए कोयले धूप में इस्तमाल  करना नही.
होम करने के लिए लकड़ी आम के पेड़ की इस्तेमाल कीजिये.
माणिभद्र की छबि रखिए, काले रंग का कपड़ा छबि के पीछे रखना, दूसरा लाल रंग का आच्छादान बिछाने से पहले नीचे जमीन पर दोनों तरफ कंकु के साथिए करना और बीच के जगह पे कंकु से त्रिकोणाकार साथिया रखो.
अगरबत्तियां ओर दिवा स्टैंड के पास भी कंकु के छोटे साथीए करना.
ऐसा करने के बाद आसन पर बैठना , फिर नीचे दी गई रीत से पूजा आरंभ करो.
* आरंभ के साधके हाथ मे लाल करेंन का एक फूल लेके कंकु ओर चावल मिक्स करके घी वाले दीये पर रखना,
फिर दादाजी को अर्पित करना, फिर ऊपर का मंत्र बोल के 
श्रीफल चढ़ाना.
ऐसे ही 1 मंत्र बोल के 1 फूल दादा को अर्पित करना.
मंत्रोच्चार स्पष्ट  मन मे होना चाहिए ओर फिर 108 फूलो का होम एक मंत्र मन में बोलते वक़्त करना.
इसी प्रकार पूजा और होम हो जाये बाद में पूजा में बैठने से पहले बनाई हुई खीर देव को अर्पित कर के खा जाओ.
जितनी खाई जाए उतनी ही बनना, थाली में बाकी मत रहने देना.
साधना का आरंभ करने के बाद बीच मे उठाना नही.
खीर को एक बर्तन में दीप के पास रखनी.
पूजा होम सुबह हो जाये बाद में रात को 21 माला का जाप हररोज करना.
21 दिन तक ये विधि करनेकी इससे वीर सिध्द होंगे.
■मंत्र चालू करने के बाद 4 – 4 दिनों में सामने बांध हुआ हुआ कला पड़दे के कपड़ पर एकदम तेजस्वी गोलाकार प्रकाश नीले रंग के ज़बकरे दिखने लगेंगे. डरावनी आवाजे भी होगी कि भाषा मे लिखा में हुआ  हो ऐसा भी दिखेगा पर डरना मत ओर उठाना भी मत जैसे कुछ भी नई हो. ऐसा समाज के मंत्र चालू रखना जो कुछ भी होता है अच्छे केलिए ही होता है ऐसा समजना  नुकसान कभी नई होगा..
21 दिन जप पूजा-होम करना.
मंत्र सिद्ध होते गई अल्लुकिक मदद मिलेगी.
व्यापार में, कोर्ट में तथा डाटा हुआ धन दिखे, गुम हुआ भी दिखे. चोर का पता, सामने वाली व्यक्ति के मन के विचार जानने की शक्ति और अनेक सिद्धि इस मंत्र से मिलती है…

४. आहुतिमंत्र-   ऊँ ह्रीँ  श्रीँ  माणिभद्राय पूर्णभद्राय दः दः ही सः सः स्वाहा ।।
■ ये मंत्र एक अनुभवी के पास से मिला है.
कई लोगों को अनुभव हुआ है.

५. मोटीज़रा के लिए मंत्र:
ऊँ ऐं ह्रींँ  श्रीँ  क्लीं नवपद ह्रीँ  श्री माणिभद्राय नमः ।।
विधि:
इस मंत्र का निरंतर जाप 1008 करने से ओर इस मंत्र से 108 बार पंचामृत का होम करने से ओर माणिभद्रजी का यंत्र गले मे बाधने से मोटीज़रो मिट जाता है.

६. माणिभद्रजी के साधना का मंत्र
ऊँ  ह्रीँ  श्रीं  भगवते श्री माणिभद्राय ह्रीँ  श्री कण कण क्लीं  फण फट् फट् स्वाहा ।।
विधि:
गुरुवार के दिन भूमि पवित्र करके, लाल वस्त्र, लाल मालाथि, पूर्व दिशा की तरफ बेठ के 1008 जाप करना.
108 बार पंचामृत होम करना. लाल माला प्रवाल की लेनी ओर हररोज विजय मुहूर्त पे गिननी.
माला 21 दिन तक हररोज गिनन ने की.
फिर 21 वे दिन पंचामृत होम करना .
वह होम करते मध्याह्न वक्त श्वेत रुपे माणिभद्र आये उस वक्त कहना 
“मै जो मागु वो मुझे दो”.
जो वाचा दे वही सिध्द है. वचन से बांध लेके मन मे जो चीज़ मागो वो लाके देंगे. (सत्यमेव) होम दूध , दही , घी , श्री फल ( टॉपरु) तथा मध-ए पंचामृत का करना.

७. शुभा शुभ जानने का मंत्र :
ऊँ क्लीं  क्लीं  क्लीं माणिभद्र चेटकाय सर्वसिद्धकराय मम स्वपने अमुकं दर्शय दर्शय स्वाहा ।।
विधि:
आम का एक पाटला सन्मुख रखके, उसके ऊपर चावल का साथिया निकाल के, साथिये के ऊपर श्रीफल ओर नैवेध रखना. पूर्व दिशा और उत्तर दिशा सन्मुख माणिभद्र} की प्रतिमा रख के आसन पे बैठके जाप रात्रि के 9 बजे तक अजवलिया ( शुक्ल पक्ष) पखवाड़िये के पहले गुरुवार के दिन से शुरू करना. जितना हो सके उतना ज्यादा से ज्यादा जाप करना. हररोज 11 माला गिनने की. 7 दिन मैग के आयमबिल करना, धूप और दिये अखंड चालु रखना , लाल करें का फूल अर्पित करना. आयम्बिल रसोई पुरुष के हाथो से बनाई हुई होनी चाहिए, इस बात का खास ध्यान रखना. जिस चीज़ की मांगनी करनी हो उस मंत्राक्षर मे मांगनी के शब्द बोलना.
पहले सवालाख-1,25000 जाप करना, सभी जाप रात्रि में  करना ओर न हो सके तो दिन में भी चालू रखना. चौथे दिन माणिभद्रजी मनुष्य रूप में आकर साक्षात दर्शन दे. जो चाहिए वो माग इसा कहेंगे, काम हो तब रात को एक माला गिनकर सोए रहना.
माला गिनके सोने के बाद कुछ बोलने नही. स्त्री का संग त्याग कर देना.

८. श्री माणिभद्रजी को प्रत्यक्ष करने का मंत्र 
ऊँ आँ हाँ क्रों क्ष्वीं  क्लीं ब्लूं द्रां  द्रीं  ऊँ  नमो भगवते माणिभद्राय कृष्णरूपाय चतुर्भुजाय जिनशासनभक्ताय हिलि हिलि मिलि मिलि किलि किलि यक्षकूमँः 
स्वाहा ।।
विधि:
पहले दिन आयम्बिल, ओर अठम, ओर अयंबलिम टप करके पांच दिन में 125 माला उपरोक्त मंत्र की गिननी.
दशांश आहुति देनी.
माणिभद्र देव प्रत्यक्ष होते है.

९. शाकी की निग्रहकरण मंत्र
ऊँ  नमो भगवते माणिभद्राय क्षेत्रपालाय कृष्णरूपाय चतुर्भुजाय जिनशासनभक्ताय नवनागसहस्रबलाय किंनर किंपुरुष गंधर्व यक्षराक्षस भूतप्रेत पिशाच सर्वशकिनीनां  निग्रहं कुरु कुरु पात्रं रक्ष रक्ष स्वाहा ।।
विधि:
कालीचौदश के दिन ये मंत्र 1008 बार गिनना. दीप, धूप, फूल, वो सब सातवे मंत्र की विधि की तरह जपना.

१०. भूतप्रेत निग्रहकरण मंत्र
ऊँ माणिभद्राय कपिलरुद्राय अनंतशाकिनीसर्वाय नवनागसहस्रबलाय किंनर किंपुरुष गंधर्व यक्ष राक्षस भूतप्रेतपिशाच सर्व शाकिनीनां निग्रहं कुरु कुरु पात्रं  रक्ष रक्ष स्वाहा ।।
विधि:
कालीचौदश के दिन 1008 बार जाप करना. भूत-प्रेत से ग्रसित हुए व्यक्ति के पानी मंत्रर के पिलाने से ओर सात बार जाड़ो देने से भूत, प्रेत से ग्रसित मुक्त हो जाता है.

११. शुभाशुभ जाननेका मंत्र:-
ऊँ आँ ह्रीँ  क्लीं क्ष्रीं क्ष्रीं क्ष्रीं ब्लूं ह्राँ ह्रीँ  (द्राँ  द्रीं  ?) ऊँ नमो भगवते माणिभद्राय क्षेत्रपालाय क्रदमरूपाय चतुर्भुजाय जिनशासनभक्ताय हिलि हिलि मिलि मिलि किलि किलि चक्षुर्मयाय स्वाहा ।।
विधि:
राता सिंदूर के पुतले की स्थापना करनी, राती करेंन कस फूल लाके दिन 15 में 27000-सताइस हजार जाप करना. लोबान का धूप करना, घी का दीपक करना, राती माला से गिननी, लापसी शेर 1।, घूघरी शेर 1।, 
वड़ा शेर 1। ओर तलवट शेर 1। सन्मुख रखना.
होम विधि:
दशांश 2700 आहुति देवी गूगल 1, करेन के फूल 2, घी-3, चावल 4 और दूध 5- इस पंचामृत का होम करने से देव प्रत्यक्ष होते है.
जाप की शरुआत रविवार के दिन से  करना खास ध्यान रखना.
बाद में निरंतर 108 बार ये मंत्र गिनना. मन मे जो चीज़ का विचार कीया हो उसका जवाब स्वपन में देंगे.

१२.  श्री माणिभद्रजी को प्रत्यक्ष करने का मंत्र:
ऊँ आँ क्रोँ  ह्राँ ह्रीँ  (द्रा द्रीँ ? )क्ष्वीं क्ष्वीं क्लींँ ब्लूँ एँ  ह्सौं  ऊँ नमो भगवते श्री माणिभद्राय क्षेत्रपालाय कृष्णवर्णाय चतुर्भुजाय जिनशाशनभक्ताय हिलि हिलि मिलि मिलि किलि किलि चक्षुमँयाय ठ: ठ: ठ: स्वाहा ।।
विधि:
इस प्रकार के माणिभद्र क्षेत्रपाल मंत्र का कम से कम 10,000-दस हजार बार जाप करना और दशांश होम करने से मंत्र सिद्ध होता है, एक लाख जाप करने से ओर दशांश 10,000-दस हजार होम करने से श्री माणिभद्र प्रत्यक्ष होते है.

१३.  पूजा का मंत्र:-
ऊँ  ह्रीँ  श्रीं  क्लीं श्री माणिभद्र वीराय हस्तिवाहनाय, क्षेत्रपालाय विंशतिसहस्रदेवसहिताय सर्व जीवहिताय जलं चन्दनं पुष्पं धूपं दीपं अक्षतं फलं नैवेधं यजामहे स्वाहा ।।

१४. ऊँ ह्रीँ  श्रीँ  माणिभद्राय पूर्णभद्रसेविताय क्रों  कामितार्थप्रदायिने दः दः दः क्लीँं सः सः स्वाहा ।।
विधि:
रविवार के शुभ दिन शुद्ध भूमि पर मण्डलु करके चार दिशा में प्रथम कंकु से साथिये करना.
उसके ऊपर चावल कज़ साथिया करना. ऊपर सोपारी रखनी. एकसनु करना. खट्टी चीज़ तथा मिठाई का त्याग करना. अखंड दीपक के साथ सवालाख ओर 12 ।। हजार जाप करने से सिद्धि मिलेगी.
सभी कार्य  की सिद्धि मिलेगी.

१५.  ऊँ नमो माणिभद्राय चेटकाय सर्वकार्यसिद्धये मम स्वपनदर्शनानि कुरु कुरु स्वाहा ।।
विधि:
रात को तल के तेल का दीपक करना. उसमे कुटी हुई कोड़ी रखना, सामने बैठकर 11 दिन 11000 जाप करना. जाप पूरा होने के बाद 108 लाल करेंन के फूल मंत्रित कर के एक तांबे की डब्बी में बंध करके सोते वक्त तकिये के पास रखनेसे 11 दिन की अंदर प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा.

१६. ऊँ क्लीँ  क्लीँ  ह्रीँ  ऐं  द्रवयं श्री माणिभद्र मम गृहे आनय आनय स्वाहा ।।
विधि:
12।। हजार जाप करना. 1250 गोलियां की आहुति करना, खारेक, कोपरा, खडिसाकर, कोडियालोबान ओर शुद्ध घी (लोबान दो गुना लेने का) ओर धूप करना.
मंत्र सिद्ध होता है, ओर लक्ष्मी प्राप्त होती है.

१७. ऊँ नमो माणिभद्राय ह्रीँ  श्रीँ  किणि किणि स्वाहा ।।
विधि:
दातण करते वक्त ये मंत्र 32 बार गिनना, लोबान का धूप करना.
पूरा दिन अच्छा जाएगा. १। लाख जाप से प्रत्यक्ष होगा.

१८. ऊँ ह्रीँ  श्रीँ  क्लीँ  नमो माणिभद्राय मम वाञ्छितं पूरय पूरय सर्ववश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।।
विधि:
ब्राह्ममुहूर्त में 78 दिन तक रोज एक माला गिननेसे सबकुछ वशीभूत हो जाता है, नित्य गिननेसे लक्ष्मी प्राप्त होती है.

१९.  ऊँ नमो जक्ष  इंदो ऊँ नमो जक्ष इंदो जक्षराया अमरपति माणिभद्राय नमः ।।
विधि:
दीवाली के दिन 12।। हजार जाप करने से सिद्ध होता है.
भयानक स्वप्न या स्वरूप दिखे तो भी भयभीत होना नही.
भयभीत हो गए तो अकाल मुत्यु होगा. (इस मंत्र में बली , पूजा कुछ भी नही है. ये मंत्र राधनपुर में लावण्य विजययति की प्राचीन प्रति मे से लिया हुआ है.) इसके प्रभाव से सर्व कार्य सिद्ध हो जायेगा.

२०. ऊँ नमो माणिभद्राय ह्रीँ  किणि किणि स्वाहा ।।
विधि:
दातण करते समय 32 बार मंत्र गिनके, पहले बायी साइड से शुरू करना.
दिन अच्छा जाता है, व्यापार में वृद्धि होगी.

२१.  ऊँ नमो माणिभद्राय ह्रीँ  किणि किणि स्वाहा ।।
विधि:
ऊपर अनुसार समजना.

२२. ऊँ ह्रीँ  श्रीँ  भगवते श्री माणिभद्राय कालमेघाय ह्रीँ  श्रीँ  कण कण क्लीँ  ब्लूँ  कण फुट् फुट् स्वाहा ।।
विधि:
रविवार के दिन भूमि पवित्र करके, शुद्ध सफेद वस्त्र पहनकर पूर्व सन्मुख बेठ के सफेद रंग की एक माला गिननी. पंचामृत होम करना. 21 दिन 21 एकासना के साथ जाप करना.
व्यापार में वृद्धि होगी.

२३. ऊँ  ह्रीँ  श्रीँ  क्लीँ सोहं श्यामवर्ण माणिभद्र महायक्ष सेनापति आगच्छ आगच्छ मम मनोरथं पूरय पूरय 
स्वाहा ।।
विधि:
अट्ठाम तप करना. शरीर वृद्धि, वस्त्रशुद्धि, भूमिशुद्धि करके पीली माला मेसे 12।। हजार जाप करने से प्रत्यक्ष होता है.अट्ठाम न हो सके तो तीन दिन एकासना करना.
उसमे सिर्फ दूध या मिठाई लेना. मंत्र जाप का प्रारम्भ करके 2 शेर पैंडे(मिठाई) एक मिट्टी के वासन में भरकर तीन दिन सामने रखना. अखंड धूप-दीप करना. रात को संथारा पे सोना. जाप पूरा हो जाये तब मिठाई बच्चो को दे देनी की. सभी कार्य सफल हो जायेगे.
बाद में हररोज एक माला का जाप करना.

२४. ऊँ ह्रीँ  माणिभद्राय पूर्णभद्रसेवियात ऊँ कामर्थप्रदायिने दद दद दद क्लीँ  सः सः सः स्वाहा ।।
विधि:
रविवार के दिन शुभमुहूर्त में बलवान चंद्र देखकर
 (खुद की राशि से ३-७-१०-११ इस में से कोई एक चंद्र देखकर ) उस समय साधना का प्रारम्भ करना.
32 दिन जाप करना. वस्त्र, भूमि और शरीर शुद्धि पूर्वक गरम आसन पर बैठ के रोज एक माला सुबह के समय परवला की माला से जाप करना.
माणिभद्रजी की छबि सामने रख ने की, सुबह में ओर एक रात में माला गिनने की.
माला को ओर खुद को गुलाब का अत्तर छाँटकव करना.
छबि के सामने एक पात्र में 2.75 ग्राम पतासा रखना. पतासा ना मिले तो साकर रखने की. रात को माला गिन के वही पर सोना, जाप के 32 दिन ओर आगे-पीछे के 1-1 दिन ऐसे 34 दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करना.
32 में दिन माणिभद्रवीर हाथी पर बैठके प्रत्यक्ष होंगे और वरदान देंगे.
तब कहना “जब याद करु तब जवाब देना”
बाद में जब जरूर पड़े तब एक माला पवित्र होकर गिनकर सो जाने से जवाब मिल जायेगा.

२५. ऊँ ह्रीँ  श्रींँ  माणिभद्राय श्रीपूर्णभद्रसेवियात क्रों  कामितार्थप्रदायिने दः दः दः क्लींँ  सः सः स्वाहा ।।
विधि:
रविवार के शुभ दिन देवगणनक्षत्र में इस मंत्र का जाप करना. गोबर से भूमि शुद्ध करके चोरस मंडला करना. कंकु से चारो ओर रेखा बनाकर ऊपर अक्षत से साथिये करना. उत्तर दिशा के तरफ मुह रखना. लाल वस्त्र पहने.
ब्रम्हचर्य का पालन करे. शंख, परवला या चांदी की माला से जाप करो. 32 दिन एकासणा करे. सफेद भोजन ले. दूध, साकर ले. अन्न नही खाना. रात को माण्डलु भरने का. गाय के घी का अखंड दिपक रखना. हाथ में रूपु धन रख कर एकांत में ध्यान करना. धूप भी चालू रखना.
नित्य स्न्नान करना. सफेद फूल से 108 बार 32 जाप करना. जाप रात को करना. शुक्ल पक्ष में प्रारम्भ करना. 2 शेर सुखड़ी अर्पित करने की. पहले दिन जागरण रखना. सफेद वस्त्र बिछाना, सुखड़ी सामने रखने की, जय जय माणिभद्र इस प्रकार सफेद फूल के साथ जाप करना.प्रत्यक्ष होंगे , वरदान देंगे.

२६. ऊँ आँ क्रीँ क्रोँ  क्ष्वीँ  क्लीँ ब्लूँ  द्राँ  द्रीँ  ऊँ नमो भगवते माणिभद्राय क्षेत्रपालाय चतुर्भुजाय 
जिनशासनभक्त्ताय हलि हलि मलि मलि चक्षुमँयाय स्वाहा ॥
विधि:
इस मंत्र को लाल पुष्प के साथ ७००० बार गिनने से सिद्ध होता है.
रात को श्वेत पुष्प के साथ १०८ बार गिनने से प्रत्यक्ष होते है.
शुभाशुभ- जीवन/मरण की बाते कहे.

२७. ऊँ ओँ  क्रोँ  ह्रीँ  क्ष्वीँ  क्लीँ ब्लूँ ह्रीँ  ह्रीँ  माणिभद्राय क्षेत्रपालाय कृष्णरूपाय चतुर्भुजाय जिनशासनभक्त्ताय हिलि हिलि मिलि मिलि किलि किलि चक्षुमँयाय स्वाहा ।।
विधि:
अट्ठाम तप-अखंड दीपक-मौनवत के साथ 12।। हजार जाप करने से प्रत्यक्ष होते है.

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